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Monday 8 February 2016

RAAT-BHAR

तुम ख़्वाबों में आते रहे रात भर

हसरतें जवाँ होती रही रात भर ।

बादलों में छुपा चाँद मुस्कुराता रहा

चाँदनी बिखरती रही रात भर ।

नींद में डूबे पत्ते लिपटे रहे शाख़ से

रात रानी महकती रही रात भर ।

मिट्टी पर रेंगती रही बारिश की बूँदे

ख्वाइशें नहाती रही रात भर ।

Saturday 6 February 2016

ZINDGI

खुशी में भी आँखे नम जाती है
ज़िंदगी किस मोड़ पर तू मुझसे मिली है ।

रात भर जागते रहे थे तुम्हारी खातिर
आज पलकों पर है नींद का पहरा
जब तू सामने खड़ी है
ज़िंदगी किस मोड़ पर तू मुझसे मिली है ।

तमन्ना थी कल तक तुम्हे हँसता देखूं
आज तुम्हारी हँसी में मेरी उदाशी घुल गई है
ज़िंदगी किस मोड़ पर तू मुझसे मिली है ।

धुंधला हुआ जाता है चेहरा तुम्हारा
मत देखो मुझे मेरी आँखे भरी है
ज़िंदगी किस मोड़ पर तू मुझसे मिली है ।