डैश बोर्ड

"https://www.blogger.com/home"

Friday 1 July 2016

tum khawab ho....

तुम ख़्वाब  हो , दिल  को  समझाऊँ  कैसे
सांसो  की  बेचैनी  को  छुपाऊँ  कैसे ।

खुली  रखी  है  खिड़की मगर  डरती  हूँ ,
चाँद  को  हथेली  पर उतारूँ  कैसे ।

तुम  मेरा  रास्ता , मेरी  मंज़िल  हो
ये हक़ीक़त  तुम्हे  बताऊँ  कैसे ।

तुम्हारा  नाम  बिछ  गया  है
मेरी  पलकों  पर
ज़माने  से  तुम्हे  छुपाऊँ  कैसे ।

मचले हैं अरमान  तुम्हे  छूने
सज़दे में झुका  सर उठाऊँ  कैसे ।

दुआओं  की  सूरत  कहाँ  बदलती  है
सोचती  हूँ -
ख़ुदा  से  तुम्हे  मांगू  कैसे ।