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Monday, 30 November 2015

तलाश

मत छेड़ो सोने वालों को 
जाग कर फिर नींद  कहाँ आती है 
उकता गयी हूँ देख कर 
बुझे चेहरों को 
 सपनों वाली आँखों की तलाश है 

3 comments:

Unknown said...
This comment has been removed by the author.
संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

ये तलाश जारी रहे ....

Unknown said...

अद्भुत