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Tuesday 22 December 2015

ek din

एक दिन
अचानक जब तुम्हारा ख्याल आया

उस दिन

सूरज निकला कुछ खोया-खोया
कलियाँ थी उदास
न खूशबू थी फूलों में
न भौरों में थी प्यास ।

देर तक
आँखे थी कुछ अलसाई सी
उठ पड़ी मै घबराई सी
सूरत देखी जब दर्पण मे
आँखों में नमी सी छाई थी ।

सोचा तो
यादों के पन्ने लगे उड़ने
अंकित शब्द कुछ बोल उठे
एक चेहरा जो थी भूल चुकी
मस्तिष्क मे स्वतः लगा मचलने ।






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