सपनों पे पॉव रखकर कल मैंने तुमको देखा था
चेहरा उजला -उजला ,जैसे धूप धुला धुला
होंठों पे हसीं की किरणे फ़ैली , आँखों में अभिनन्दन था
सपनों पे पॉव ऱखकर कल मैंने तुमको देखा था
चिकने कोमल पत्ते काँपे ,अन्तर्मन में कुछ भाव मचले
पहुंचे मेरे एहसास तुम तक ,और कुछ शब्द तुम्हारे मुझतक चल कर आए
शब्द मधुर थे उनको मैंने छुआ था
सपनों पे पावं रखकर कल मैंने तुमको देखा था
संवेगो की धारा फूटी ,तुम भींगे मैं भींगी थी
अलसाई अँखियों ने देखा ,नई सुबह थी निखरी सी
बीते रात ने मुझको ,मुझसे ही मिलवाया था
सपनों पे पावं रखकर कल ,मैंने तुमको देखा था !!
चेहरा उजला -उजला ,जैसे धूप धुला धुला
होंठों पे हसीं की किरणे फ़ैली , आँखों में अभिनन्दन था
सपनों पे पॉव ऱखकर कल मैंने तुमको देखा था
चिकने कोमल पत्ते काँपे ,अन्तर्मन में कुछ भाव मचले
पहुंचे मेरे एहसास तुम तक ,और कुछ शब्द तुम्हारे मुझतक चल कर आए
शब्द मधुर थे उनको मैंने छुआ था
सपनों पे पावं रखकर कल मैंने तुमको देखा था
संवेगो की धारा फूटी ,तुम भींगे मैं भींगी थी
अलसाई अँखियों ने देखा ,नई सुबह थी निखरी सी
बीते रात ने मुझको ,मुझसे ही मिलवाया था
सपनों पे पावं रखकर कल ,मैंने तुमको देखा था !!