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Saturday, 22 July 2017

kal maine tumko dekha tha

सपनों पे पॉव  रखकर  कल  मैंने  तुमको देखा था
चेहरा उजला -उजला ,जैसे  धूप  धुला  धुला
होंठों पे हसीं  की किरणे फ़ैली , आँखों  में  अभिनन्दन  था
सपनों पे  पॉव  ऱखकर  कल  मैंने तुमको देखा  था

चिकने कोमल  पत्ते  काँपे ,अन्तर्मन  में  कुछ भाव  मचले
पहुंचे  मेरे  एहसास तुम तक ,और कुछ शब्द तुम्हारे मुझतक  चल कर आए
शब्द मधुर  थे उनको मैंने छुआ था
सपनों पे पावं  रखकर कल मैंने तुमको देखा था

संवेगो  की धारा फूटी ,तुम भींगे मैं भींगी थी
अलसाई अँखियों ने देखा ,नई सुबह थी निखरी सी
बीते रात ने मुझको ,मुझसे ही मिलवाया था
सपनों पे पावं रखकर कल ,मैंने तुमको देखा था !!

Friday, 1 July 2016

tum khawab ho....

तुम ख़्वाब  हो , दिल  को  समझाऊँ  कैसे
सांसो  की  बेचैनी  को  छुपाऊँ  कैसे ।

खुली  रखी  है  खिड़की मगर  डरती  हूँ ,
चाँद  को  हथेली  पर उतारूँ  कैसे ।

तुम  मेरा  रास्ता , मेरी  मंज़िल  हो
ये हक़ीक़त  तुम्हे  बताऊँ  कैसे ।

तुम्हारा  नाम  बिछ  गया  है
मेरी  पलकों  पर
ज़माने  से  तुम्हे  छुपाऊँ  कैसे ।

मचले हैं अरमान  तुम्हे  छूने
सज़दे में झुका  सर उठाऊँ  कैसे ।

दुआओं  की  सूरत  कहाँ  बदलती  है
सोचती  हूँ -
ख़ुदा  से  तुम्हे  मांगू  कैसे ।

Friday, 15 April 2016

MANZIL

ब्यर्थ  ही  मे 

देखती  हूँ

सूने  गगन  को ,

चाँद ,तारे  तो

तुम्हारी आँखों  में  रहते  हैं।

इनको पाना मेरी मंज़िल  है ,

फिर क्यों  नहीं  बढ़ते  हैं  हाथ

जब ये निरपराध

टूट -टूट  कर  गिरते है।

मेरी मंज़िल  मेरे  पास

न जाने  कितनी  बार

आ -आ  कर  चली  जाती  है

मैं चकित  हो 

देखती रह  जाती  हूँ  चुपचाप ।









Monday, 8 February 2016

RAAT-BHAR

तुम ख़्वाबों में आते रहे रात भर

हसरतें जवाँ होती रही रात भर ।

बादलों में छुपा चाँद मुस्कुराता रहा

चाँदनी बिखरती रही रात भर ।

नींद में डूबे पत्ते लिपटे रहे शाख़ से

रात रानी महकती रही रात भर ।

मिट्टी पर रेंगती रही बारिश की बूँदे

ख्वाइशें नहाती रही रात भर ।

Saturday, 6 February 2016

ZINDGI

खुशी में भी आँखे नम जाती है
ज़िंदगी किस मोड़ पर तू मुझसे मिली है ।

रात भर जागते रहे थे तुम्हारी खातिर
आज पलकों पर है नींद का पहरा
जब तू सामने खड़ी है
ज़िंदगी किस मोड़ पर तू मुझसे मिली है ।

तमन्ना थी कल तक तुम्हे हँसता देखूं
आज तुम्हारी हँसी में मेरी उदाशी घुल गई है
ज़िंदगी किस मोड़ पर तू मुझसे मिली है ।

धुंधला हुआ जाता है चेहरा तुम्हारा
मत देखो मुझे मेरी आँखे भरी है
ज़िंदगी किस मोड़ पर तू मुझसे मिली है ।

Friday, 29 January 2016

AB NAHI CHAAHTI HUN .

दायरों  में  सिमटी  ज़िंदगी ,
अब  नहीं  चाहती  हूँ
मिलन  समर्पण और विश्वास
अब  नहीं  चाहती हूँ ।

साँसे जब  मेरी हैं ,
तो क्यों धड़के तुम्हारे इशारों पर
बंधनों की ये जंज़ीरें
अब नहीं चाहती हूँ }

शिकायतें  अर्ज़ियाँ  लिख  कर
खुद  ही  पढ़  डाली  हैं
हक़  में  हो फैसला  तुम्हारे
अब  नहीं चाहती  हूँ |






Sunday, 27 December 2015

umar bhar nhi bhulongi

उम्र भर नहीं भूलूंगी
उन लम्हों को
जो बिताए मिलकर साथ
इस रिश्ते को कोई नाम मत देना
ये न दोस्ती है न प्यार ।

एक स्नेह -सनित डोरी
जिसमें बंधे हम
सुख -दुःख बांटा अपना
हँसे रोये संग ।

कई बार मेरी शरारतों ने
जब स्पर्श किया
तुम्हारे अंतरमन को
सहसा बिचलित होकर
तब तुमने
दिखाया ह्रदय के दर्द को ।

तुम गए
देकर मुझे मधुर सपने
जो है मेरे अपने ।

अब जब कभी तुम्हरी
यादों की गर्मी से
पिघलती है मेरी रातें
मैं होती हूँ संग सितारों के
और
होती है तुम्हरी बातें ।